रचना
रचना क्या है, कुछ शब्दों का ताना-बाना ।कुछ अपनी, कुछ सबकी, बात वही जाना-पहचाना ।।
कुछ शब्दों से छंद बने और गीत बने ।
कुछ छंदों ने काव्य रूप मनमीत गढ़े ।।
कुछ रचना ने सुलझाई अनसुलझी गुत्थी ।
भेद खोल जीवन के ढंग दिखाई है सच्ची ।।
कुछ महाकाव्य बन पूजित हैं, ईश्वर के समकक्ष हुए ।
जीवन को परिभाषित करती, कुछ से जीवन को लक्ष्य मिले ।।
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