विरह रस लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
विरह रस लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

दादी

1:52:00 pm

 दादी


जिसने बीज बोए रचनात्‍मकता के

भक्ति-भाव के और समता के

दीन-हीन के प्रति ममता के


निर्गुण भजनों की मधुराई

या रामायण की चौपाई

सार-शब्‍द सबके समझाती

भक्ति-प्रेम की पावन धारा

में हम सबको लेकर वो जाती


परम पूज्‍य श्रीयुत् गुरूवर के

सान्निध्‍य का दुर्लभ अवसर

करती जतन थी लाखों ऐसी

प्रभु की कृपा जो बरसें सब पर


प्‍यारी दादी बिनबौं तुझको

तेरी कमी है अंतरतम में

बस, श्रद्धा भाव हैं सजल नयन में

साहेब बन्‍दगी चरण कमल में

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

हे प्रभु - निवेदन

6:39:00 pm
हे प्रभु - निवेदन

हर भेष में तू, सब देश में तू
कण-कण में तू ही, हर क्षण में तू ही
तुम राग में हो, अनुराग में हो
तुम प्रीत, प्रेम और त्‍याग में हो

तुम मातु-पिता, तुम बन्‍धु-सखा
तुम सन्‍यासी, तुम जोग-जती
प्रभु राम तू ही, और कृष्‍ण तू ही
गौतम-महावीर-नानक तूम ही

तुम सूर तुलसी और मीरा हो
जन-जन का मान कबीरा हो
कर्म तू ही, सब धर्म तू ही
जीवन के सारे मर्म तू ही

घट बाहर भी, घट भीतर भी
घट में बसो, सब घट में रमो
सब जीव में तुम समदरशी हो
सुख-दु:ख में सदा मन हरषी हो

सर्वत्र तू ही, सर्वज्ञ तू ही
ज्ञान तू ही, मर्मज्ञ तू ही
तुम दूर नही, तुम पास में हो
तुम आस में हो विश्‍वास में हो

हम जाएं कहां कुछ भान नहीं
कहें कष्‍ट किसे कुछ ज्ञान नहीं
सर्वत्र तू ही, फिर कष्‍ट है क्‍यूं
सर्वज्ञ तू ही, फिर मौन है क्‍यूं

प्रभु मैं अज्ञानी हूं शायद
कुछ मान-गुमान हमें शायद
तुम पुत्र जानि हमें माफ करो
हमको अब भव से पार करो

अब और नहीं कुछ तृष्‍णा शेष
विनती कर जोडि़ करै ‘शुभेश’

प्रभु कब तक यूँ ही तरपाओगे

6:27:00 pm
प्रभु कब तक यूँ ही तरपाओगे

प्रभु जी, प्रभु जी ओ प्रभु जी
प्रभु कब तक यूँ ही तरपाओगे
नयन मूँद कर, हमसे रूठकर
कब तक हमें तुम सताओगे
प्रभु जी, ओ प्रभु जी......
मेहनत की नही है मानो कदर
भटकते रहे हम, हो दर-ब-दर
जहां से चले थे फिर पहुंचे वहीं
कब तक बता दो है केशव हमें,
पेंडुलम की तरह यूँ घुमाओगे
प्रभु जी, हे प्रभु जी..............
अकेला शहर में, मैं तन्हा डगर में
कर्मभूमि में भी अकेला खड़ा हूँ
तूने जो मुंह फेर ली हमसे माधव
घर हो या बाहर नियति से लड़ा हूँ
कोई कर्म के वश, कोई धर्म के वश
हमारी नियति भी कहाँ अपने है वश
प्रभु जी, ओ प्रभु जी...........
मेरा मर्म जाने, जगत में न कोई
हाँ मैं मानता हूँ, ये सब जानता हूँ
दिखाते हो तस्वीर तुम जिसको जैसे
समझता उसे सच है बिल्कुल ही वैसे
पर दोष किसका जो छवि देखता है?
या दोष तेरा जो सर्वज्ञ हो, मुँह फेरता है?
हम तन्हा तेरी राहों में खड़े हैं
हे केशव, कृपा बिन विकल हो रहे हैं
प्रभु जी, हाँ प्रभु जी.....................
कर्म कुछ विकट हमने शायद किये हों
तभी तो हे राघव नयन मूंदते हो
क्षमाप्रार्थी हूँ हे सर्वज्ञ केशव
उचित ही करोगे जानता हूँ मैं माधव
वो घड़ी आएगी कब बता दो हे राघव
जब तुम्हारी सुदृष्टि पड़ेगी हम सब पर
वो दृष्टि तुम्हारी जो कल्याणकारी
सकल दुःख-विपदा पर पड़ती जो भारी
प्रभु जी, ओ प्रभु जी....................
शुभेश करें विनती हे प्रभु जी, प्रभु जी
हम सबको तू अपना, हाँ अपना ही समझो
विपत्ति की कितनी कठिन ही घड़ी हो
दया-दृष्टि हम पर सदा रख ही परखो
हे प्रभु जी, हाँ प्रभु जी, ओ प्रभु जी

रविवार, 5 जून 2016

तेरी याद

11:16:00 pm
तेरी याद

सूनी सूनी अंखिया मेरी चितवत है चहु ओर ।
कहां छुपी है मेरी चन्दा, ढूंढे तुझे चकोर ।।

जहां भी देखूं कोई गुड़िया, लगे है जैसी मेरी सोना ।
जैसे मुझसे बोल रही हो, पापा देखो मैं ही हूं ना ।।

कहीं भी देखूं कोई सूरत ।
ममतामयी मां की कोई मूरत ।।

याद तुम्हारी मुझे सताये ।
अधर हैं सूखे नयन भर आये ।।

तन भीगा, दर्पण भीगा है ।
नयन धार से बसन भीगा है ।।

मन प्यासे को कौन बताये ।
नयन नीर कब प्यास बुझाये ।।
                                 ....शुभेश

मंगलवार, 14 जुलाई 2015

जाने वो सुबह कब आएगी

9:57:00 pm
जाने वो सुबह कब आएगी
जाने वो सुबह कब आएगी, जाने वो सुबह कब आएगी ।
इन सूनी—सूनी अंखियों को जाने कब तक तरपाएगी ।
कब बरसेंगी अधरों पे अधर, कब मिलन की प्यास बुझाएगी ।।
मेरे तन से जो उठती अगन, कुछ और नहीं तेरी माया ।
तेरे तन की वो मीठी छुअन, कब मिलेगी वो शीतल छाया ।।
वो हंसी ठिठोली मुसकाना ।
पलक उठाकर देखना यूं, फिर पलक झुकाकर शरमाना ।।
वो प्यार भरी तेरी बातें, छोटी करती लम्बी रातें ।
बरबस गालों को यूं चूमना ।
कभी चेहरे को यूं उठा—उठाकर, उंगली को अपने घुमा—घुमाकर ।
बातों से सपने बुनना ।।
मुझे याद बहुत ही आती है, तेरी याद सदा तरपाती है ।
देखेंगे जाने कब ये नयन, जो मन में बसी चंचल काया ।
तरपा तो पहले भी था बहुत, इतना न किसी ने तरपाया ।।
                                                                     ~~~शुभेश