जलेबी की तरह सीधी बातें
Shubhesh Kumar
6:49:00 pm
जलेबी की तरह सीधी बातें
आज का युग प्रगतिशीलता का युग है। हर ओर विकास हो रहा है। विकास के पैमाने का भी विकास हो रहा है। पहले भूखमरी के आंकड़ों से विकास का आकलन किया जाता था। अमुक वर्ष में भूख से मरने वालों की संख्या इतनी थी जो पिछले वर्ष घटकर इतनी हो गयी है। अर्थात हम विकास कर रहे हैं। परंतु, आज का दौर तो डिजिटल क्रांति का है। अतएव, भुखमरी के डाटा का स्थान डिजिटल डाटा ने ले लिया है। जीबी और टीबी पैमाने ने विकास को बूलेट ट्रेन की रफ्तार दी है। घबरायें नहीं मैं वो खांसने वाले टीबी की नहीं गीगाबाइट-टेराबाईट की बात कर रहा हूं। हमारे कम्प्यूटर के शिक्षक पढाते थे कि सब कुछ 0 और 1 का कमाल है। वो बायनरी सिस्टम (द्विआधारी सिस्टम) की बात कर रहे थे।
इस डिजिटल दौर में बस 0 और 1 ही है। कोई दूसरा स्थान पर नहीं रहना चाहता है। सभी 1 नम्बर पर रहेंगे नहीं तो 0 नम्बर, मतलब कुछ नहीं। रेस लगी है भागने की और सभी भाग रहे हैं ‘एक’ नम्बर के पीछे। डर है कि वो कहीं 0 न रह जाएं। अब इस भागम भाग में किसे पड़ी है पूछने की, कि विकास के इस बूलेट रफ्तार में क्या पीछे रह गया है। बूलेट ट्रेनों को अपने देश में लाने में प्रयासरत सरकार को लोकल व एक्सप्रेस ट्रेनों में बोरियों की तरह लदकर जा रहे यात्रियों की कितनी चिंता है। सभी ट्रेन लेट चलें, हम भेड़-बकरियों की तरह यात्रा करें, हमें क्या। गेटमैन के अभाव में मानवरहित रेल फाटकों पर दुर्घटनाएं होती हो तो हों, हमें क्या। हम तो बूलेट ट्रेन की बात करेंगे और खुशफहमी में जी लेंगे कि अब हम भी जापान से टक्कर लेंगे।
अट्टालिकाओं की गगनचुम्बी श्रृंखला और नीचे दम तोड़ता किसान। अभी भी भूख से मर रहें हैं लोग और किसान अपने लागत मुल्य तक के अभाव में अपनी ही ऊपजाई फसलों को वापस अपनी ही खेतों में दफन करने को मजबूर है। परंतु हमें क्या, हम तो फ्री डाटा को ही विकास से तौलेंगे। सब सोशल नेटवर्किंग में और अपना नेटवर्क बढा रहे हैं। समय कहॉं है, किसके पास है। सब तो व्यस्त है।
अफीम से भी गहरा नशा दिया जा चुका है, सभी मस्त हैं। तभी तो जब सरकार घोषणा करती है कि देखो विकास हुआ है और कुछेक करोड़ की ऋण सहायता और कुछेक लाख को आवास सहायता का अपना रिपोर्ट कार्ड दिखाती है। तो सब ताली बजाते हैं। पर ये तो बताएं कि आबादी तो एक अरब के पार हो गयी है, वहां ये कुछ करोड़ के क्या मायने हैं। पर कौन पूछे, सभी मस्त हैं। मुझे तो जलेबी बहुत भाती है क्योंकि वो इतनी सीधी होती है कि एक सिरा को पकड़ो और दूसरे सिरा से विकास को माप लो। मैंने भी ठान ली है कि विकास की पूरी खबर लेकर रहूंगा। कुछ दोस्तों ने भीतर की खबर निकाल कर दी है कि विकास के आने की तिथि 30 फरवरी है और ये पक्की खबर है। अब देखिये कब आती है वो तिथि। पर किसे इंतजार है, सब तो राम-रहीम, मंदिर-मस्जिद, 3जी-4जी में व्यस्त हैं और मैं ! मैं तो जलेबी पाकर ही मस्त हूं।
**जय श्री हरि**