जिन्दगी
Admin
10:18:00 am
-:: जिन्दगी ::-
अपना भविष्य सँवारने के खेल में,
वर्तमान दाँव पर लगा रहे हम ।
दो पल की खुशी की खातिर,
हर पल का चैन गंवा रहे हम ।।
सुकून से मिले दो वक्त की रोटी,
इसलिए परोस कर रखी थाली ठुकरा रहे हम ।
बच्ची को मिले हर वो सुकून,
जिसकी चाहत थी मुझको,
इसलिए उसके संग बच्चा बन,
वो मासूम बचपन नहीं जी पा रहे हम ।।
खुद को आशीर्वाद देने लायक,
सामर्थ्यवान बनाने की कोशिश में,
मातृ—पितृ व श्रेष्ठ जनों के आशीष को,
प्राप्त नहीं कर पा रहे हम ।
स्नेह की बारिश करने की जुगत में,
अनुजों—प्रियजनों को स्नेह नहीं दे पा रहे हम ।।
जीवन—संगिनी को हर खुशी देने और
उनके साथ भविष्य में सुख—लहरियां लेने के प्रयास में,
उनके वर्तमान को नजर अंदाज कर रहे हम ।।
तुझे बेहतर बनाने की कोशिश में 'शुभेश',
तुझे ही वक्त नहीं दे पा रहे हम ।
हाँ माफ करना मुझे ऐ जिन्दगी,
तुझे जी नहीं पा रहे हम ।।
~~~ शुभेश