देश का विकास
माननीय जी देश का हो रहा विकास है ।
घोटाला-भ्रष्टाचार-दंगा मुक्त भारत
आपने लिखी विकास की नई ईबारत
वैदेशिक सम्बंधों में बढ़ी मिठास है..........।
माननीय जी देश का हो रहा विकास है....।।
अमरीका, इजरायल, जर्मनी और जापान
सबसे बनाए मधुर सम्बंध और विकास को किया गतिमान
परंतु आंतरिक सम्बंधों में अब भी वही खटास है....।
माननीय जी देश का हो रहा विकास है...........।।
नोटबंदी के चक्कर में पूरा देश पस्त हो गया
अच्छे दिन आएंगे यह सोच सब कष्ट सह गया
भ्रष्टाचारी सलाखों के भीतर होंगे और काला धन बाहर आवेगा
जाने कब पूरी होगी यह आस है.....................।
माननीय जी देश का हो रहा विकास है विकास है...।।
रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं
गरीबी तो नहीं, हां गरीब मिट रहे हैं
भारत के भविष्य कर रहे रोजगार की तलाश हैं....।
माननीय जी देश का हो रहा विकास है..........।।
हमारे सच्चे पालक, प्रतिपालक, भारतीय किसान
कोई क्या जानें मंहगाई के इस दौर में खेती नहीं आसान
खेती के लिए भी कर्ज में डूबे हुए हैं
इनका विकास तो दूर की कौड़ी है,
अपने ही खेत में बंधुआ मजदूर बने हुए हैं
एक तो बाढ़ – सुखाड़ की त्रास है
ऊपर से सरकारी नीतियों ने भी किया निराश है.....।
माननीय जी देश का हो रहा विकास है............।।
माननीय जी से विनम्र निवेदन,
भाषण-सम्भाषण से ऊपर हो रोजगार सृजन ।
हर हाथ को काम और हर परिवार को आवास हो
जन-जन की भागीदारी के बिना अधूरा हर विकास है
माननीय जी सुनेंगे सबकी आवाज, यही इक आस है....।
माननीय जी देश का हो रहा विकास है................।
(विभागीय पत्रिका में प्रकाशित)
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