तिमिर घिरल घनघोर
तिमिर घिरल घनघोर
यौ मालिक..... तिमिर घिरल घनघोर।
आकुल मनुआ पंथ निहारै,
कहाँ छुपल अछि भोर।
यौ मालिक.... तिमिर घिरल घनघोर।।
अगम अथाहे भटकै मनुआ,
जिनगीक थाह नै पाबै मनुआ,
जाऊं कहां कित ओर ।
यौ मालिक.... तिमिर घिरल घनघोर।।
बुद्धि ज्ञान सब क्षीण भेल अइ,
माया मोह में लीन भेल अइ,
इन्द्री करै बड़ जोर।
यौ मालिक.... तिमिर घिरल घनघोर।।
भवकूपक अंधियार डराबै,
नयन अभागलि देखिए नै पाबै,
तनिको ने कतौ इजोत।
यौ मालिक.... तिमिर घिरल घनघोर।।
आब कृपा करू अंतर्यामी,
सर्व सहायी, समरथ स्वामी,
भव पसरल चहुँ ओर।
यौ मालिक.... तिमिर घिरल घनघोर।।
'शुभेश' अछि अधम पतित बड़ मालिक,
अहीं शरण में अयलौं मालिक,
आस केवल अहिं ओर।
यौ मालिक.... तिमिर घिरल घनघोर।।
साहेब बन्दगी-३🙏🙏🙏
© शुभेश
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