मामा जी, मामा जी यो, हमरा लगि गेल भूख ।
हमरा लेल पेड़ा—बिस्कुट आनू, चाहे खोआ—तिलकुट आनू ।
जल्दी से आनू सेबक जूस, जल्दी से आनू दूध ।।
मामा जी, मामा जी यो....................
दालि चाउर लै खिचड़ी बनाबू, चाहे दूध दै खीर बनाबू ।
नूने—अनून सब किछु खा लेब, कांचो—कोचिल सेहो पचा लेब ।।
बड जोड़ लगि गेल भूख ।
मामा जी, मामा जी यो....................
नै किछु बनत त' सेहो बता दिय'
हमरा माय के अहां, बजा दिय'
हम त पी लेब दूध, आब बड जोड़ लगि गेल भूख ।।
मामा जी, मामा जी यो....................
........शुभेश
(अपनी पुत्री सुश्री शुचि को समर्पित मैथिली बाल रचना)
हमरा लेल पेड़ा—बिस्कुट आनू, चाहे खोआ—तिलकुट आनू ।
जल्दी से आनू सेबक जूस, जल्दी से आनू दूध ।।
मामा जी, मामा जी यो....................
दालि चाउर लै खिचड़ी बनाबू, चाहे दूध दै खीर बनाबू ।
नूने—अनून सब किछु खा लेब, कांचो—कोचिल सेहो पचा लेब ।।
बड जोड़ लगि गेल भूख ।
मामा जी, मामा जी यो....................
नै किछु बनत त' सेहो बता दिय'
हमरा माय के अहां, बजा दिय'
हम त पी लेब दूध, आब बड जोड़ लगि गेल भूख ।।
मामा जी, मामा जी यो....................
........शुभेश
(अपनी पुत्री सुश्री शुचि को समर्पित मैथिली बाल रचना)
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