बुधवार, 15 जुलाई 2015

शर्मा जी बने डॉक्टर

शर्मा जी बने डॉक्टर
मेरे पड़ोस में शर्मा जी रहते हैं,
हर मुद्दों पर गरमा—गरम बहस करते हैं ।
ज्ञान के मामले में तो शुन्य हैं,
समझते अपने को परिपूर्ण हैं ।।

एक सुबह शर्मा जी को सपना आया,
डॉक्टर बनकर उन्होंने खूब माल कमाया ।
बस फिर क्या था, शर्मा जी चले डॉक्टर बनने,
सफेद कोट सिलवायी, और चले सपने को सच करने ।।

साले ने जुगत भिड़ाई,
एमबीबीएस की फर्जी डिग्री दिलाई ।
अब शर्मा जी बन गए डॉक्टर,
और उनके साले साहब हो गए कम्पाउण्डर ।।

दोनों ने मिलकर क्लिनिक खोली,
चार दिवस इंतजार में ही निकली ।
जब कोई मरीज नहीं आया,
शर्मा जी का दिल घबराया ।।

पांचवें दिन हुए मरीज के दर्शन,
देख जीजा—साले का खिल गया मन ।
ऐसा ईलाज करूं मैं इसका,
बनूं चहेता डॉक्टर सबका ।।

बंदे ने मर्ज बताई,
था वो दस्त से परेशान भाई ।
शर्मा जी ने ऐसा ईलाज किया,
वो बेचारा स्वर्ग सिधार गया ।।

दोनों को हुई घबराहट, बात हुई ये ऐसी,
बात न बाहर फैले ये, कोई जुगत लगाओ वैसी ।
चलो दोनों इसे उठाते हैं,
पीछे के वन में दफनाते हैं ।।

साले था पकड़ा लाश को पीछे,
और अपने आंखों को मींचे ।
जो मल था धोती के अंदर,
सब गिरा साले के ऊपर ।।

खैर! किसी तरह निपटाया,
उसको जाकर ​दफनाया ।
अगले दिन जब क्लिनिक आया,
था एक मरीज पहले से आया ।।

देख दोनों की आंखें चमकी,
चलो आज होगी बोहनी अच्छी ।
मरीज ने मर्ज बताया,
उसे भी था दस्त ने सताया ।।

सुनकर दोनों फिर चौंके,
फौरन अंदर को लपके ।

साला बोला जीजा से ,
अपने सर को जकड़े ।
फैसला हो पहले इसका
कि पीछे कौन पकड़े ।।
                  ~~~शुभेश
(विभागीय पत्रिका में प्रकाशित)

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