शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

दादी

 दादी


जिसने बीज बोए रचनात्‍मकता के

भक्ति-भाव के और समता के

दीन-हीन के प्रति ममता के


निर्गुण भजनों की मधुराई

या रामायण की चौपाई

सार-शब्‍द सबके समझाती

भक्ति-प्रेम की पावन धारा

में हम सबको लेकर वो जाती


परम पूज्‍य श्रीयुत् गुरूवर के

सान्निध्‍य का दुर्लभ अवसर

करती जतन थी लाखों ऐसी

प्रभु की कृपा जो बरसें सब पर


प्‍यारी दादी बिनबौं तुझको

तेरी कमी है अंतरतम में

बस, श्रद्धा भाव हैं सजल नयन में

साहेब बन्‍दगी चरण कमल में

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