मंगलवार, 14 जुलाई 2015

गुरूवर नमन तुम्हें शत बार है

गुरूवर नमन तुम्हें शत बार है
नमन तुम्हें शत बार है गुरूवर, नमन तुम्हें शत बार है ।
पाप—पुण्य का भेद कराया,
दया धरम का मार्ग दिखाया ।
स्नेह भरा जो हाथ फिराया, कोटि—कोटि आभार है ।।
नमन तुम्हें शत बार है.............................................
सत की नाव में मुझे बिठाया,
नाम रूपी पतवार थमाया ।
निराकार का भेद बताया, वो रूप तेरा सा​कार है ।।
नमन तुम्हें शत बार है.......................................
क्रोध—लोभ को पास न लाना,
माया मोह से बच के रहना ।
माया ठगिनी बड़ी सयानी, तूने किया खबरदार है ।।
नमन तुम्हें शत बार है..........................................
हम अज्ञानी इंद्रिय वश में,
बंधते जाते भव बंधन में ।
तूने ज्ञान की ज्योति जलाकर,
तन और मन दोनों धुलवाकर ।
आतम—राम का मिलन कराकर, किया बड़ा उपकार है ।।
नमन तुम्हें शत बार है...................................................
                                                                   ~~~शुभेश

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