बुधवार, 15 जुलाई 2015

उठ भोर भई

उठ भोर भई
उठ भोर भई, उठ भोर भई, अब जाग री मेरी गुड़िया ।
जग गई सारी ​दुनिया ।

मम्मी—पापा जागे, जग गए मामा—मामी,
दादा—दादी जागे और जग गए नाना—नानी ।
अरे खुलि गए सारे किवड़िया, अब जाग री तू भी गुड़िया ।।
उठ भोर भई....................................

चंदा मामा जाए, सूरज दादू आए,
अंधियारा भी जाए, हर कली मुसकाए ।
अरे जग गई सारी दुनिया, अब जाग री तू भी गुड़िया ।।
उठ भोर भई....................................
उठ भोर भई, उठ भोर भई अब जाग री मेरी गुड़िया ।
चली खेलन सारी दुनिया ।।
                                                              ~~~शुभेश

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